Pune EMotorad Electric Cycles Gigafactory | MS Dhoni Investments | पुणे में बन रही साउथ-एशिया की सबसे बड़ी ई-साइकिल फैक्ट्री: इसमें महेंद्र सिंह धोनी का निवेश, हर साल 5 लाख साइकिलें बनेंगी


नई दिल्ली1 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी बैक्ड इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी ईमोटोराड साउथ एशिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक साइकिल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बना रही है। यह प्लांट पुणे के रावेत में 2,40,000 वर्ग मीटर में फैला है।

इसका पहला फेज जल्द पूरा हो जाएगा और 15 अगस्त से इसमें मैन्युफैक्चरिंग शुरू हो जाएगी। कंपनी के मुताबिक, पूरी तरह ऑपरेशनल होने पर यहां से सालाना 5 लाख से ज्यादा साइकिलों का प्रोडक्शन होगा।

कंपनी के इस गिगाफैक्ट्री में बैटरी, मोटर, डिस्प्ले और चार्जर सहित इलेक्ट्रिक व्हीकल में इस्तेमाल होने वाले लगभग सभी कॉम्पोनेंट्स का उत्पादन होगा। नई प्रोडक्शन फैसिलिटी से कंपनी अपने प्रोडक्शन रेंज को भी बढ़ाने की तैयारी कर रही है।

300 लोगों को हायर करेगी कंपनी
नई फैसिलिटी से कंपनी अपने प्रोडक्ट रेंज को भी बढ़ाएगी। इसमें नई इलेक्ट्रिक साइकिल भी शामिल होगी। इस फर्म में कैपेसिटी बढ़ाने के लिए कंपनी 300 नए लोगों को हायर करेगी। अभी इस फैक्ट्री में 250 लोग काम कर रहे हैं।

चार फेज में पूरी होगी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी
कंपनी की ओर से बताया गया कि मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी चार फेज में पूरा होगा। चारों फेज के पूरा होने के बाद किसी एक लोकेशन पर बनी साउथ एशिया की यह सबसे बड़ी फैक्ट्री होगी। कंपनी इनोवेटिव प्रोडक्ट बनाने के अलावा पुराने प्रोडक्ट्स में जरूरी ट्रांसफॉर्मेशन करके नए सिरे से लॉन्च करेगी।

4.0 स्टैंडर्ड पर भी फोकस कर रही कंपनी
इसके अलावा ईमोटोराड ​​​​​ 4.0 स्टैंडर्ड पर भी फोकस कर रही है। इसके तहत मैन्युफैक्चरिंग के स्मार्ट और मॉडर्न तरीकों को अपनाने के साथ-साथ टेक्निकली एडवांस प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग की जाती है। इसके अलावा, ईमोटराड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की एक सीरीज भी पेश करने के लिए तैयार है, जो सभी अपग्रेडेड जेन-2 प्लेटफॉर्म्स पर बने होंगे।

भारत में तेजी से बढ़ रहा ई-साइकिल का चलन
भारत में ई-साइकिल अपनाने में वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में टु-व्हीलर चला रहे हर तीन में से एक आदमी टु-व्हीलर EV की ओर शिफ्ट करना चाह रहा है। इसके लिए फ्यूल प्राइसेस, इनवारमेंटल इश्यू और सरकार का इस तरफ फोकस को जिम्मेदार माना गया है।

खबरें और भी हैं…



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *