Olympic Games History; Origin and Interesting Facts Explained | ओलिंपिक में बिना कपड़ों के उतरते थे खिलाड़ी: सैनिक की मौत से जुड़ी मैराथन रेस, भारत में जन्मी पहली महिला विजेता


492 ईसा पूर्व यानी आज से करीब ढाई हजार साल पहले। पर्सिया के राजा डेरियस ने ग्रीक के शहर एथेंस पर आक्रमण किया, लेकिन हार गया। 6 साल बाद उसकी मौत हो गई।

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डेरियस के उत्तराधिकारी जेजरेक्स ने ढाई लाख पैदल सैनिक और 800 जहाजों की नौसेना तैयार की और एक बार फिर एथेंस पर हमला कर दिया। पूरा शहर जला दिया गया। एथेंस के लोग समुद्र के रास्ते जान बचाकर भागे।

पूरे ग्रीक पर खतरा बढ़ता देख शासकों ने आम लोगों की एक अस्थाई सेना बनाने का फैसला किया। तमाम कोशिशों के बाद भी सेना के लिए लोगों को इकट्ठा करना मुश्किल हो रहा था।

दरअसल, ग्रीक पर अगस्त में हमला हुआ था। ये गर्मियों के दिन थे। ग्रीक में ये वक्त समर ओलिंपिक का था। ओलिंपिक की लोकप्रियता इस कदर थी कि देश जल रहा था, फिर भी लोग ओलिंपिक नहीं छोड़ना चाहते थे।

दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘ओलिंपिक के किस्से’ के पहले एपिसोड में ओलिंपिक के धार्मिक परंपरा की तरह शुरू होने से खेलों का महाकुंभ बनने की कहानी…

प्राचीन ओलिंपिक की आधिकारिक शुरुआत 776 ईसा पूर्व यानी करीब 2800 साल पहले मानी जाती है, लेकिन ग्रीक माइथोलॉजी की कहानियों के मुताबिक ओलिंपिक का इतिहास इससे भी पुराना है। इसकी 4 कहानियां…

पहली कहानी : 1370 ईसा पूर्व में जीउस की पत्नी और देवताओं की माता कही जाने वाली रिया की एक मूर्ति ओलंपिया के जंगलों में स्थापित की गई। इस मूर्ति की पूजा सबसे पहले कौन करेगा, इसके लिए स्थानीय लोग रेस का आयोजन करते थे, जो इसे जीतता वो पूजा करता था।

दूसरी कहानी : ग्रीक माइथोलॉजी के अनुसार भगवान जीउस के बेटे हरक्यूलिस को 12 लेबर (कर्तव्य) पूरे करने थे। हरक्यूलिस जब पांचवां लेबर पूरा करके किंग ऑगियस को मारकर ओलंपिया लौटे तो उन्होंने सेलिब्रेशन के लिए रेस का आयोजन किया।

तीसरी कहानी : पेलपोनीज के राजा पेलोप्स राजकुमारी हिप्पोडेमिया से शादी करने के लिए अपने पिता ओनोमॉस को चैरियट यानी रथ रेस की चुनौती दी और पिता को चालाकी से हरा दिया और हिप्पोडेमिया से शादी कर ली।

चौथी कहानी : ग्रीक पोएट होमर अपनी रचना इलियड में लिखते हैं- ट्रोजन वॉर हीरो एकिलीज का दोस्त पैट्रोक्लस जिसे ट्रोजन वॉर में मार दिया गया था, उसके अंतिम संस्कार में कई खेल आयोजित किए गए। जिनमें चैरियट रेस, मुक्केबाजी, कुश्ती, पैदल दौड़, तीरंदाजी, भाला फेंक आदि शामिल थे। हालांकि, होमर यह स्वीकार नहीं करते कि ओलिंपिक की शुरुआत इन्हीं खेलों से हुई। अंतिम संस्कार में होने वाले इन खेलों को 1230 ईसा पूर्व का बताया जाता है।

आर्कियॉलॉजिकल खुदाई में ग्रीस के ओलंपिया के पास यह ट्रैक मिला। इतिहासकारों के मुताबिक इस ट्रैक पर ही 776 ईसा पूर्व में पैदल दौड़ आयोजित की गई थी।

एक दिन का खेल, बिना कपड़ों के उतरते थे खिलाड़ी
776 BCE यानी आज से 2800 साल पहले जब ऑफिशियली ओलिंपिक की शुरुआत हुई तो ये खेल मात्र 1 दिन के होते थे। इन्हें नॉर्थ-ईस्ट पेलपेनिस के जंगलों में स्थित ओलंपिया सेंचुरी में आयोजित किया जाता था। एक दिन के इस इवेंट में पैदल दौड़ का आयोजन होता था।

तस्वीरें प्राचीन ओलिंपिक के चेरियट रेस और पैदल दौड़ इवेंट की हैं। पैदल दौड़ में खिलाड़ी बिना कपड़ों के दौड़ते थे।

400 BCE तक पहुंचते-पहुंचते आयोजन एक से बढ़कर पांच दिन का हो गया और इसमें रनिंग के साथ जपिंग, थ्रोइंग, बॉक्सिंग, पेक्रेंशन, लॉन्ग जंप, भाला फेंक और चेरियट रेस जैसे खेल भी जोड़े गए। बाद में इस आयोजन को चार साल के अंतराल पर किया जाने लगा। जिसे ओलिंपियाड कहा जाता था।

ओलम्पिया के इन इवेंट्स में ज्यादातर एथलीट बिना किसी कपड़ों के खेलने उतरते थे। माना जाता है कि वे ग्रीक गॉड को अपनी शारीरिक क्षमता दिखाने के लिए ऐसा करते थे।

ओलिपिंक इवेंट के दौरान कुश्ती करते खिलाड़ियों की तस्वीर।

ग्रीक में ओलिंपिक रिलीजन से जुड़े हुए थे। 400 ईस्वी तक ग्रीक गॉड्स की तरफ लोगों का विश्वास कम होने लगा, यही कारण था कि ओलिंपिक खेलों की लोकप्रियता भी कम हो गई। इसी दौर में ग्रीक पर बाहरी आक्रमण भी तेजी से बढ़े। जिनमें से कुछ रोमन राजाओं ने तो ओलिंपिक को आगे बढ़ाने का काम किया।

तस्वीर में एक खिलाड़ी शॉटपुट खेलता नजर आ रहा है। इस स्टेच्यू को लंदन के एक म्यूजियम में रखा गया है।

393 ईस्वी में थियोडोसियस प्रथम ने क्रिश्यचन धर्म के प्रचार के लिए ग्रीक मंदिरों, गॉड स्टेच्यू पर रोक लगा दी और ओलिंपिक को भी बैन कर दिया। इतिहास की पुस्तकों में 261 ईस्वी में आखिरी ओलिंपिक खेलों का रिकॉर्ड मिलता है।

एक फ्रांसीसी शिक्षक बना मॉडर्न ओलिंपिक का जन्मदाता
नवंबर 1892 की एक शाम। पेरिस के किसी हॉल में एक गहरी काली आंखों वाला युवक, सैकड़ों लोगों के सामने एक प्रस्ताव रखते हुए कहता है, ‘हमें अपने नाविकों, धावकों, तलवारबाजों समेत अन्य खिलाड़ियों को सपोर्ट करना चाहिए। यह विश्व शांति का नया कारण बनेगा। मैं आप सभी से सहयोग की उम्मीद करता हूं जिससे हम ओलिंपिक को फिर से जिंदा कर सकते हैं।’

युवक के शांत होते ही हॉल में बैठे लोग हंसने लगते हैं और ओलिंपिक को फिर से शुरू करने का पहला सार्वजनिक प्रस्ताव खारिज कर दिया जाता है। युद्ध से तबाह फ्रांस में ओलिंपिक के सहारे शांति और एकता की पैरवी कर रहा यह युवा कोई और नहीं, बल्कि मॉडर्न ओलिंपिक के फाउंडर कहे जाने वाले बैरन पियरे डी क्यूबर्टिन थे।

क्यूबर्टिन एक आर्मी फैमिली से आते थे, लेकिन उन्होंने टीचर के तौर पर अपना करियर चुना और पढ़ाई के साथ-साथ खेलों को भी बौद्धिक विकास का तरीका बताया।

पहला प्रस्ताव पास होने के करीब डेढ़ साल बाद 16 जून 1894 को फ्रांस के सोरबोन के ग्रैंड हॉल में ओलिंपिक कांग्रेस की एक बैठक शुरू होती है। बैठक के ठीक आठवें दिन 23 जून 1894 को कांग्रेस में ओलिंपिक को फिर से शुरू करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास कर दिया जाता है और अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति का गठन करके क्यूबर्टिन को महासचिव बनाया जाता है।

तस्वीर 23 जून 1894 की है। इसी दिन मॉडर्न ओलिंपिक खेलों पर सहमति बनी थी।

तय वक्त से चार साल पहले ही शुरू हो गया पहला ओलिंपिक
5 अप्रैल 1896, करीब 50 हजार दर्शकों से भरे एंथेस के स्टेडियम में ग्रीस के किंग जॉर्ज प्रथम की ऑफिशियली अनाउंसमेंट के बाद पहले इंटरनेशनल ओलिंपिक इवेंट की शुरुआत होती है, लेकिन ये वह तारीख नहीं थी जो इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (IOC) ने पहले ओलिंपिक इवेंट के लिए तय की थी। IOC ने 1894 में ओलिंपिक की शुरुआत के लिए साल 1900 तय किया था जो पेरिस में आयोजित किए जाने थे।

दरअसल, क्यूबर्टिन को डर था कि पहले इवेंट के लिए 6 साल का लंबा इंतजार मॉडर्न ओलिंपिक के उनके विचार को कमजोर कर सकता है। ऐसे में वे ओलिंपिक को जल्दी आयोजित कराने के लिए ग्रीस पहुंचे। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि ओलिंपिक गेम्स पेरिस से पहले प्राचीन ओलिंपिक की जन्मस्थली ओलंपिया में आयोजित किए जाने चाहिए।

क्यूबर्टिन का प्रस्ताव IOC को पसंद आया, लेकिन ओलंपिया की सड़क और समुद्री मार्ग से कनेक्टिविटी कमजोर और मॉडर्न फैसिलिटी कम थीं। ऐसे में एंथेस को पहले ओलिंपिक स्थल के रूप में नामित किया गया। हालांकि परेशानियां अभी खत्म नहीं हुई थीं क्योंकि ग्रीक गवर्नमेंट कंगाली से जूझ रही थी। ऐसे में ओलिंपिक जैसे बड़े इवेंट को ऑर्गनाइज करना उनके लिए टेढ़ी खीर थी।

इससे निपटने के लिए ग्रीस के क्राउन प्रिंस कॉन्स्टेंटाइन ने जनवरी 1895 में 12 सदस्यों वाली एक समिति गठित की। समिति ने दुनिया भर के यूनानियों से दान मांगा, लेकिन दान का पैसा इवेंट के लिए काफी नहीं था। ऐसे में ग्रीस के व्यापारी जॉर्जियस एवरॉफ ने आगे आकर 9 लाख 20 हजार सोने के ड्रैक्मा (ग्रीस की मुद्रा) दान में दिए। इन्हीं पैसों से 50 हजार दर्शक क्षमता वाले एंथेस में पैनाथनियन स्टेडियम को फिर से संगमरमर से बनाया गया। इसी स्टेडियम में पहले ओलिंपिक खेल आयोजित हुए।

ग्रीक सैनिक की मौत से ओलिंपिक में जुड़ी मैराथन रेस
ओलिंपिक के पहले इवेंट में 13 देशों के 285 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इनमें अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और इंग्लैंड के खिलाड़ी शामिल थे। खास बात यह थी कि इस आयोजन में प्राचीन ओलिंपिक की तरह कोई भी टीम इवेंट नहीं था।

5 अप्रैल 1896 यानी मॉडर्न ओलिंपिक के पहले दिन ठीक 2 बजे गन फायर के साथ ओलिंपिक के पहले खेल लॉन्ग फुटरेस यानी मैराथन की शुरुआत हुई। इस रेस को जीतने के लिए धावकों को 25 मील यानी करीब 40 किमी की दूरी तय करनी थी। यह पहला मौका था जब इतनी लंबी रेस को आयोजित किया जा रहा था। मैराथन की शुरुआत के पीछे ग्रीक माइथोलॉजी की एक कहानी भी जुड़ी है।

492 ईसा पूर्व में ग्रीक सेना ने मैराथन नामक जगह पर पर्सियन सेना को हराया। जीत का संदेश मैराथन से करीब 25 मील दूर एंथेस तक पहुंचाने के लिए ग्रीक सैनिक फिडिपिडीज को चुना गया। फिडिपिडीज दौड़कर एंथेस पहुंचे और चिल्लाते हुए संदेश दिया- हम जीत गए। संदेश देने के ठीक बाद वे जमीन पर गिर पड़े और उनकी मृत्यु हो गई। माना जाता है इसी सैनिक की याद में मैराथन रेस की शुरुआत हुई।

ओलिंपिक के शुरुआती सालों में यह रेस 25 मील की ही होती थी, लेकिन 1908 में लंदन ओलिंपिक ब्रिटिश रॉयल फैमिली के हस्तक्षेप के बाद मैराथन बढ़ाकर 26.2 मील यानी करीब 42 किमी की कर दी गई।

1896 का ओलिंपिक खेलने पहुंचे खिलाड़ियों के साथ मॉडर्न ओलिंपिक फाउंडर क्यूबर्टिन।

समुद्र के ठंडे पानी में हुआ पहला स्विमिंग मैच
मैराथन के बाद स्विमिंग का मैच शुरू हुआ। इस आयोजन में स्विमिंग के लिए कोई पूल नहीं था बल्कि समुद्र में स्विमिंग के मैच आयोजित किए गए। ठंडे पानी और समुद्र की गहराई के चलते हर तैराक के साथ एक नाव चल रही थी। पहले 100 मीटर की दूरी तय करने बाद एक अमेरिकी तैराक चिल्लाया- ‘मैं जम रहा हूं’ और साथ में चल रही नाव पर चढ़ गया।

इसके बाद कुछ और तैराक इसी तरह पानी से निकल गए। कुछ ने संघर्ष किया जिनमें हंगरी के अल्फ्रेड हाजोस भी थे। जिन्होंने 18.22 सेकेंड में 1200 मीटर दूरी पानी तय करके इवेंट में जीत हासिल की। इवेंट के बाद उन्होंने कहा कि जीतने से ज्यादा उन्हें इस बात की खुशी है कि वे पानी से जिंदा बाहर निकल सके।

महिला खिलाड़ियों के लिए अलग ‘हेरियन गेम्स’
प्राचीन ओलिंपिक के करीब 1500 साल बाद मॉडर्न ओलिंपिक शुरू हुआ, लेकिन प्राचीन ओलिंपिक की तरह इन खेलों में भी महिलाओं की हिस्सेदारी नहीं थी। प्राचीन ओलिंपिक बिना कपड़ों के खेले जाते थे। जिसके चलते खेलना तो दूर, विवाहित महिलाएं इन्हें देख भी नहीं सकती थीं।

ग्रीक जोग्राफर और ट्रेवल राइटर पॉसनीस के मुताबिक एलिस ने आदेश दिया कि अगर कोई विवाहित महिला ओलिंपिक खेलों में मौजूद पाई जाती है, तो उसे माउंट टाइपियम से नीचे फेंक दिया जाए। हालांकि महिलाएं चेरियट रेस में अपने घोड़े उतार सकती थीं।

पॉसनीस हेरा के मंदिर और ओलिंपिक से जुड़ी अपनी रिसर्च में एनिशिएंट एरा में फीमेल एथलीट के लिए होने वाले एक इवेंट की भी बात करते हैं। जिसमें फीमेल एथलीट पैदल दौड़ जैसे इवेंट में हिस्सा लेती थीं। पॉसनीस जैसे ही कई इतिहासकार इन खेलों की शुरुआत ओलिंपिक की तरह ही 776 BCE के आस-पास की बताते हैं। इसकी शुरुआत को लेकर भी दो थ्योरी सामने आती हैं।

थ्योरी 1 : पहली थ्योरी किंग पेलोप्स की पत्नी हिप्पोडेमिया से जुड़ी है। हिप्पोडेमिया ने अपनी शादी की खुशी और देवी हेरा के सम्मान में पैदल रेस की शुरुआत की थी। जिसके लिए उन्होंने अलग-अलग जगहों से 16 महिलाओं का चयन किया था।

थ्योरी 2 : दूसरी थ्योरी बताती है कि ग्रीस के शहर एलिस और पीसा के बीच शांति के तहत इन खेलों की शुरुआत हुई। एलिस के नागरिकों ने पेलोपनीज के 16 शहरों में से एक-एक महिला को चुना जो देवी हेरा के लिए वस्त्र बुनने के साथ-साथ उनके सम्मान में खेलों का आयोजन भी करवाती थी। देवी हेरा के नाम पर ही इन खेलों का नाम हेरियन पड़ा। ग्रीक गॉड ज्यूस की पोती और किंग पेलोप्स की भतीजी क्लोरिस को हेरियन गेम्स की पहली विजेता माना जाता है। ये खेल हर चौथे साल में खेले जाते थे।

1896 में जब मॉडर्न ओलिंपिक शुरू हुआ, तब भी महिला खिलाड़ी इसका हिस्सा नहीं थीं। दरअसल, क्यूबर्टिन ओलिंपिक को महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं मानते थे, लेकिन 1900 के पेरिस ओलिंपिक से पहली बार महिलाओं ने ओलिंपिक खेलों में शामिल होना शुरू किया।

भारत में जन्मी पहली महिला ओलिंपिक विजेता
1900 में पेरिस में आयोजित ओलिंपिक प्रदर्शनी के रूप में आयोजित किए गए थे। जिसे आमतौर पर विश्व मेला कहा जाता था। लोग ओलिंपिक को लेकर न इतने जागरूक थे, न ही उनमें इसके लेकर क्रेज था। इस दौर में ऐसे कई खिलाड़ी थे जो अनजान थे कि वे ओलिंपिक में भाग ले रहे हैं।

तस्वीर उस मैच की है जिसमें मार्गरेट एबॉट पहली महिला ओलिंपिक विजेता बनी थीं।

ऐसी ही एक एथलीट मार्गरेट एबॉट थीं। मार्गरेट अपनी मां मैरी के साथ पेरिस में रहकर आर्ट्स की पढ़ाई कर रहीं थी। साथ ही गोल्फ भी खेला करती थीं। इस दौर में महिलाओं को बहुत से खेल नहीं खेलने दिए जाते थे, लेकिन गोल्फ क्लबों में उनकी एंट्री हो चुकी थी।

इसी दौरान एक दिन मार्गरेट ने एक स्थानीय न्यूज पेपर में एक गोल्फ टूर्नामेंट के बारे में पढ़ा, जो 4 अक्टूबर 1900 को होने वाला था। पेरिस से 50 मील दूर एक क्लब में आयोजित इस टूर्नामेंट में एबॉट और उनकी मां ने हिस्सा लिया।

एबॉट को इस टूर्नामेंट में पहला स्थान मिला। जबकि उनकी मां मैरी सातवें स्थान पर रहीं। हालांकि एबॉट अब तक पूरी तरह अनजान थीं कि उन्होंने ओलिंपिक में हिस्सा लेकर खिताब जीता है। इस बारे में उन्होंने अपने अमेरिकी रिलेटिव्स को लिखा था कि उन्होंने मात्र एक एग्जीबिशन टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है।

इस घटना के ठीक 70 साल बाद यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा की प्रोफेसर और ओलिंपिक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स रह चुकीं पाउला वेल्च ने न्यूयॉर्क स्थित ओलिंपिक कमेटी के यूनाइटेड स्टेट हेडक्वार्टर में एक तस्वीर देखी जिसमें गलत स्पेलिंग के साथ पहली महिला ओलंपियन के रूप में एबॉट का जिक्र था।

जब वेल्च ने इस पर रिसर्च शुरू किया, उससे सालों पहले 10 जून 1955 को 76 साल की उम्र में एबॉट का निधन हो चुका था। रिसर्च के दौरान वेल्च ने शिकागो डेली नामक न्यूज पेपर की पुरानी कॉपियां खंगालीं जिनके कम्यूनिटी पेज पर एबॉट के बारें में जानकारी मिली।

एबॉट की ट्रैकिंग के दौरान वेल्च 1900 रिस ओलिंपिक में यूएस के डायरेक्टर रहे एजी स्पेलडिंग तक पहुंचीं जिनके हवाले से उन्हें एबॉट की ओलिंपिक जीतने की कहानी के बारे में पता चला।

एबॉट के डेथ सर्टिफिकेट से ही वेल्च ने पाया कि एबॉट का जन्म भारत के कोलकाता में हुआ था। वेल्च एबॉट के बेटों फिनले जूनियर, फिलिप, लियोनार्ड और पैगी से भी मिलीं। जिनमें से फिलिप स्क्रीनप्ले राइटर थे। 1984 में फिलिप ने अपनी मां एबॉट से जुड़ा हुआ एक आर्टिकल ‘माय मदर, द गोल्फ ओलंपियन’ गोल्फ डाइजेस्ट में लिखा था। 1900 में कुल 22 महिलाओं ने टेनिस और गोल्फ में हिस्सा लिया था।

गोल्फ डाइजेस्ट में छपा मार्गरेट एबॉट के बेटे फिलिप का आर्टिकल।

इसके 24 साल बाद 1924 में जब दोबारा पेरिस में ओलिंपिक आयोजित किया गया, तब कुल 3089 एथलीट में 135 फीमेल थीं। इस आयोजन तक महिलाओं के इवेंट्स की संख्या भी बढ़ गई थी। अब सौ साल बाद 2024 में फिर से ओलिंपिक पेरिस में होने वाला है। जिसमें करीब 15 हजार एथलीट भाग लेने वाले हैं। इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी के मुताबिक इनमें 50% महिला एथलीट भाग ले रही हैं।

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‘ओलिंपिक के किस्से’ सीरीज के दूसरे एपिसोड में जानेंगे ओलिंपिक और उससे जुड़ी परंपराओं के बारे में। ओलिंपिक में गोल्ड मेडल की शुरुआत कब हुई, टॉर्च रिले क्यों शुरू की गई?

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रेफरेंस बुक्स

  • द ओलंपिक्स (विल्स बुक ऑफ एक्सीलेंस) बाय लोकेश शर्मा
  • व्हाट आर द समर ओलंपिक्स – गेल हर्मन

रेफरेंस लिंक्स



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