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नई दिल्ली4 घंटे पहले
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बाबा रामदेव और बालकृष्ण 23 अप्रैल को सुनवाई के दौरान चौथी बार कोर्ट के सामने पेश हुए थे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजति के 2022 के एक विज्ञापन में एलोपैथी पर गलतफहमी फैलाने का आरोप लगाया था।
पतंजलि विज्ञापन केस में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। आज कोर्ट यह तय करेगा कि बाबा रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना का आरोप लगाया जाएगा या नहीं। मामले में पिछली सुनवाई 23 अप्रैल को हुई थी।
इस सुनवाई में पतंजलि की ओर से एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच से कहा था- हमने माफीनामा फाइल कर दिया है। इसे 67 अखबारों में पब्लिश किया गया है।
इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि आपके विज्ञापन जैसे रहते थे, इस ऐड का भी साइज वही था? कृपया इन विज्ञापनों की कटिंग ले लें और हमें भेज दें। इन्हें बड़ा करने की जरूरत नहीं है। हम इसका वास्तविक साइज देखना चाहते हैं। ये हमारा निर्देश है।
जस्टिस कोहली ने कहा कि जब आप कोई विज्ञापन प्रकाशित करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि हम उसे माइक्रोस्कोप से देखेंगे। सिर्फ पन्ने पर न हो, पढ़ा भी जाना चाहिए। कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को निर्देश दिया कि अगले दो दिन में वे ऑन रिकॉर्ड माफीनामा जारी करें, जिसमें लिखा हो कि उन्होंने गलती की।
24 अप्रैल को बाबा रामदेव ने एक और माफीनामा छपवाया
इसके बाद पतंजलि, बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने 24 अप्रैल को अखबारों में एक और माफीनामा छपवाया था। इसमें बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी गई है। पतंजलि पर अखबारों में विज्ञापन देकर एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार करने का आरोप है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
पतंजलि ने इस माफीनामे में लिखा- हमसे विज्ञापनों को प्रकाशित करने में हुई गलती के लिए ईमानदारी से बिना शर्त माफी मांगते हैं। ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। हम सावधानी के साथ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं।
पतंजलि आयुर्वेद के 14 प्रोडक्ट्स बनाने का लाइसेंस रद्द
वहीं, उत्तराखंड सरकार ने बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य फार्मेसी के लगभग 14 प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है। यह जानकारी उत्तराखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सोमवार शाम हलफनामा दायर कर दी गई।
उत्तराखंड सरकार की लाइसेंस ऑथोरिटी ने सोमवार को प्रोडक्ट्स पर आदेश बैन का आदेश भी जारी किया। इसमें कहा- पतंजलि आयुर्वेद के प्रोडक्ट्स के बारे में बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के कारण कंपनी के लाइसेंस को रोका गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के खिलाफ याचिका लगाई है
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।
- IMA का तर्क था कि हर कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स का प्रचार करने का हक है, लेकिन पतंजलि के दावे ‘ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954’ और ‘कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019’ का सीधा उल्लंघन करते हैं।
- IMA ने एलोपैथी और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली (मॉडर्न सिस्टम ऑफ मेडिसिन) के बारे में फैलाई जा रहीं गलत सूचनाओं पर चिंता जताई। याचिका में कहा गया कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन एलोपैथी की निंदा करते हैं और कई बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करते हैं।
- IMA ने केंद्र सरकार, ऐडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) और सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (CCPA) से मांग की थी कि आयुष चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए एलोपैथी को अपमानित करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
- याचिका में बाबा रामदेव के दिए कुछ विवादास्पद बयानों का भी जिक्र किया गया। मसलन, एलोपैथी को ‘बेवकूफ और दिवालिया बनाने वाला विज्ञान’ बताना, कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल से लोगों की मौत का दावा करना वगैरह।
- IMA ने यह भी आरोप लगाए कि पतंजलि ने कोविड की वैक्सीन के बारे में अफवाह फैलाई, जिससे लोगों में वैक्सीन लगवाने को लेकर डर पैदा हो गया। याचिका में ये भी कहा गया कि पतंजलि ने कोरोना के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर की तलाश कर रहे युवाओं का उपहास उड़ाया। आयुष मंत्रालय ने ASCI के साथ एक समझौता किया है, इसके बावजूद पतंजलि ने निर्देशों का उल्लंघन किया।
कोर्ट ने FMCG कंपनियों और डॉक्टरों को फटकार लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ड्रग एंड मैजिक रेमिडी एक्ट को लागू करने पर बारीकी से विचार किये जाने की जरूरत है। यह मामला सिर्फ बाबा रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि तक ही सीमित नहीं है। बल्कि सभी फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियों तक फैला हुआ है। इनके भ्रामक विज्ञापन से जनता भ्रमित होती है। खासकर शिशु, स्कूली बच्चे प्रभावित होते हैं। बुजुर्ग इन भ्रमित विज्ञापनों को देखकर दवाइयां लेते हैं। जनता को धोखे में नहीं रहने दिया जा सकता।
कोर्ट ने FMCG कंपनियों के विज्ञापन पर तीन केंद्रीय मंत्रालयों से किया सवाल
- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को FMCG कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों पर कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने तीन केंद्रीय मंत्रालयों से पूछा कि वे इस दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में बताएं। हाल ही में नेस्ले के बेबी फूड में अतिरिक्त चीनी मिलने की रिपोर्टों के बीच सुप्रीम कोर्ट का यह रुख अहम है।
- बेंच ने कहा- भ्रामक विज्ञापन का मुद्दा पतंजलि तक सीमित नहीं है। यह उन सभी एफएमसीजी (फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स) कंपनियों तक है, जो भ्रामक विज्ञापनों से जनता को धोखा दे रही हैं और इससे शिशुओं, बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर असर हो रहा है।
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IMA प्रेसिडेंट बोले- रामदेव ने झूठ की हदें पार कीं:कोविड ठीक करने का दावा किया था, मॉडर्न मेडिसिन को बेकार और दिवालिया साइंस कहा
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के प्रेसिडेंट अशोकन ने कहा कि बाबा रामदेव ने उस समय सभी हदें पार कर दीं जब उन्होंने कोविड-19 ठीक करने का दावा किया। उन्होंने कहा कि रामदेव ने मॉडर्न मेडिसिन को स्टुपिड और बैंकरप्ट साइंस यानी बेकार और दिवालिया विज्ञान भी कहा था। न्यूज एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में अशोकन ने ये बातें कहीं। पूरी खबर यहां पढ़ें…