India Becomes 1st Country To Receive Over $100 Billion In Remittances UN | 2022 में प्रवासी भारतीयों ने ₹9.28 लाख करोड़ भारत भेजे: 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा रेमिटेंस पाने वाला पहला देश बना, मेक्सिको दूसरे नंबर पर


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नई दिल्ली3 घंटे पहले

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2022 में प्रवासी भारतीयों ने 111.22 बिलियन डॉलर यानी करीब 9.28 लाख करोड़ रुपए अपने देश भेजे हैं। इसी के साथ भारत 100 बिलियन डॉलर (8.34 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा रेमिटेंस पाने वाला पहला देश बन गया है। इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) की 2024 की रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है।

IOM की इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर मैक्सिको है, जो 2021 में भी दूसरा सबसे ज्यादा रेमिटेंस पाने वाला देश था। 2021 में मैक्सिको ने चीन को पीछे छोड़कर यह मुकाम हासिल किया था। मैक्सिको को 2022 में 5.1 लाख करोड़ रुपए का रेमिटेंस मिला है। वहीं तीसरे नंबर पर चीन, चौथे नंबर पर फिलीपींस और पांचवें नंबर पर फांस है।

साउथ एशिया के तीन देश टॉप-10 रेमिटेंस में शामिल
इससे पहले 2010 में भारत 53.48 बिलियन डॉलर, 2015 में 68.91 बिलियन डॉलर और 2020 में 83.15 बिलियन डॉलर रेमिटेंस प्राप्त करने वाला टॉप देश था। साउथ एशिया के तीन देश-भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश वर्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 की लिस्ट में टॉप-10 रेमिटेंस पाने वाले देश में शामिल हैं, जो इस लेबर माइग्रेशन को हाइलाइट करता है।

खाड़ी देश प्रवासी श्रमिकों का प्रमुख डेस्टिनेशन
खाड़ी देश प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रमुख डेस्टिनेशन बना हुआ है। खास तौर पर भारत, बांग्लादेश, मिस्र, इथियोपिया, केन्या के श्रमिक खाड़ी देश में जा रहे हैं, जहां वह मैन्युफैक्चरिंग, हॉस्पिटैलिटी, सिक्योरिटी और घरेलू काम सहित अन्य क्षेत्रों में काम करते हैं।

भारत से दुनियाभर में सबसे ज्यादा संख्या में प्रवासी श्रमिक जाते हैं। इसके साथ ही बड़ी संख्या में प्रवासी संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब जैसे देशों में रहते हैं।

कोरोना महामारी के दौरान भारतीय प्रवासी भारी कर्ज और असुरक्षा में चले गए
रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना महामारी के दौरान वेतन नहीं मिलने, सामाजिक सुरक्षा के कम होने और नौकरियां जाने से बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी भारी कर्ज और असुरक्षा में चले गए। रिपोर्ट में एक्सपर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि कोरोना महामारी के चलते देश के अंदर श्रमिकों के माइग्रेशन पैटर्न पर बहुत बुरा असर पड़ा।

इसके कारण ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में काम का तौर तरीका बदल गया। शहरों की ओर जाने वाले दिहाड़ी मजदूरों का मूवमेंट में करीब 10% कम हो गया, जिससे बड़ी कंपनियों में श्रमिकों की कमी हो गई।

रेमिटेंस क्या है?
जब कोई प्रवासी अपने मूल देश में पैसा भेजता है तो उसे रेमिटेंस कहते हैं। ये विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक जरिया है। रेमिटेंस निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए घरेलू आय का एक महत्वपूर्ण सोर्स भी है। भारत में रेमिटेंस के मामले में खाड़ी देशों में बसे भारतीयों का योगदान अधिक रहता है। इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे विकसित देशों से भी भारत में रेमिटेंस आता है।

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