भारत दुनिया की सर्विस फैक्ट्री के रूप में उभरा है। ग्लोबल सर्विस एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 18 साल में डबल हो गई है। सोमवार को एक वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया कि ग्लोबल कैपिबिलिटी सेंटर्स (GCC) ने विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। GCCs के प्रसार ने रियल एस्टेट को बढ़ावा दिया है। इसने सर्विस के निर्यात का विस्तार किया है। इसने आर्थिक विकास में बढ़ोतरी की है, नौकरियां जेनरेट की हैं और इन कंपनियों के रेवेन्यू में तेजी से बढ़ोतरी भी हुई है।
क्या है GCC: जीसीसी दुनिया भर में काम करने वाली कंपनियों द्वारा स्थापित विशेष ऑफशोर संस्थाएं हैं, जो आईटी, मानव संसाधन, वित्त, एनॉलिसिस सहित कई व्यावसायिक प्रक्रियाओं का सपोर्ट करती हैं।
कुल कर्मचारियों की संख्या 17 लाख
गोल्डमैन सैक्स की ने “India’s rise as the emerging services factory of the world” शीर्षक से एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में जीसीसी का रेवेन्यू पिछले 13 वर्षों में 11.4% की सीएजीआर से लगभग 4 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 23 तक 46 अरब डॉलर हो गया है। इस दौरान जीसीसी की संख्या 700 से 1,580 हो गई है। इस क्षेत्र में लगभग 13 लाख कर्मचारी (11.6% सीएजीआर) जुड़े हैं, जिससे वित्त वर्ष 2013 में कुल कर्मचारियों की संख्या 17 लाख हो गई है।
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रिपोर्ट में कहा गया है, “हमें उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में हाई वैल्यू वाले सर्विसेज में मजबूत ग्रोथ जारी रहेगी। हमें उम्मीद है कि इन सेवाओं में वृद्धि से घरेलू स्तर पर टॉप-एंड विवेकाधीन खपत, कॉमर्शियल और रेजिडेंशियल अचल संपत्ति की मांग बढ़ेगी”। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का सर्विस एक्सपोर्ट 2005 से लगभग 11% की सीएजीआर (लगभग दोगुनी वैश्विक वृद्धि) के साथ 2023 में बढ़कर लगभग 340 अरब डॉलर हो गया। यह गुड्स इंपोर्ट ग्रोथ से अधिक है।
कंप्यूटर सर्विसेज प्रमुख सब-सेक्टर
रिपोर्ट में कहा गया है, “वैश्विक सेवा निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2005 में 2% से बढ़कर 2023 में 4.6% हो गई, जबकि गुड्स इंपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 2005 में 1% से बढ़कर 2023 में 1.8% हो गई।” सर्विस सेक्टर में कंप्यूटर सर्विसेज प्रमुख सब-सेक्टर बनी हुई हैं। यह 2023 में भारत के सर्विस एक्सपोर्ट का लगभग आधा हिस्सा है। हालांकि, प्रोफेशनल कंस्ल्टिंग एक्सपोर्ट सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेक्टर है।